लेखनी कहानी -26-Jul-2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy )
Title = Barsaat ( Love ♥️ and Tragedy )
एक झलक
ये धारावाहिक सिर्फ कल्पना पर आधारित है इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नही। इसका उद्देश्य सिर्फ पाठको का मनोरंजन करना है। इस धारावाहिक की कहानी एक अमीर घर के लड़के हंशित जिसके परिवार में उसकी माँ ( रुपाली ) उसके पिता ( हंसराज ) उसका भाई और भाभी ( रजत / रजनी ) उसकी दादी ( हेमलता )और बहन ( काव्या ) रहते है। उसका सपना दुनिया घूमने का और तस्वीरे खींच कर एक बड़ा फोटोग्राफर बन कर नाम कमाना है । उसकी ईश्वर में आस्था नही है ।और ये सब दिल्ली रहते है
वही दूसरी तरफ हमारी नायिका हिमानी उसकी एक बहन भव्या उसका छोटा भाई कार्तिक उसकी माँ वैशाली जो की हाउस वाइफ है और पिता पंडित हरी किशन जी है । ये सब लोग उत्तराखंड के पहाड़ो में बसें केदारनाथ धाम के नजदीक रहते है ।हिमानी जो की एक गाइड है और सेलनियों को पहाड़ो की सेर कराती है । उसकी ईश्वर में बहुत आस्था है ।
वही दूसरी तरफ हंशित जो की ईश्वर को मानता ही नही तो आखिर कैसे मिलेंगे ये दो दिल आपस में अलग अलग सोच रखने वाले या फिर ईश्वर की कोई और ही मर्ज़ी होगी। जानने के लिए शुरू करते है
सुबह के सात बजे थे । त्रिपाठी भवन में आरती की आवाज़ गूँज रही थी। आरती में सब लोग मौजूद थे सिवाय हंशित को छोड़ कर , आरती की थाली रुपाली जी के हाथ में थी उन्होंने आरती पूरी करके सबको प्रसाद दिया।
"अपने उस बेटे को भी जगा दिया होता, जो रात भर दोस्तों के साथ अवारा गर्दी करता रहता है और दिन भर सोता रहता है उल्लुओ की तरह , ना आरती में आता है और ना ही मंदिर जाता है थोड़े बहुत संस्कार उसे भी सिखा दिए होते। दफ़्तर में तो उसने झाँक कर भी नही देखा MBA बीच में ही छोड़ने के बाद बस हाथ में कैमरा लिए फिरता है साहब को फोटोग्राफर बनना है दुनिया घूमना है " हंसराज जी ने कहा अपनी पत्नि से
"क्या तू हर समय मेरे पोते के पीछे पड़ा रहता है ,उठ जाएगा जब उसका मन करेगा और रही बात दफ़्तर जाने की, तो तुम दोनों जाते तो हो सुबह से लेकर शाम तक वही तो रहते हो, अब क्या हंशित भी तुम दोनों की तरह हो जाए जिन्हे सिर्फ काम काम ही नज़र आता है और कुछ नही " हंसराज जी की माँ ने कहा
"माँ ये आप लोगो ने ही उसे बिगाड़ा है " हंसराज जी और कुछ कहते तब ही उनका बड़ा बेटा रजत बोल पड़ा " पापा जी लेने दो उसे अपनी ज़िन्दगी उसे बिज़नेस में कोई दिलचस्पी नही है वो तो एक भवरे की तरह है जो एक फूल पर कभी बैठ नही सकता , हम दोनों है ना क्या ज़रुरत है उसे दफ़्तर आने की "
जैसे तुम लोगो की मर्ज़ी अब मैं क्या बोलू उन नवाब साहब के बारे में, जब सारे घर वाले उन्ही की तरफ है तो मेरा बोलना तो बेकार ही है , जो दिल में आये करे लेकिन याद रखना एक दिन पछतायेगा बहुत जब सारा समय आवारा गर्दी में और जानवरो की तस्वीर निकालने में गुज़ार देगा।
मेरी अब उम्र हो रही है इतना बड़ा कारोबार सिर्फ रजत तो नही संभाल सकता अकेले मेरा कोई भरोसा नही कब बुलावा आ जाए
"ईश्वर ना करे केसी बाते कर रहे है सुबह सुबह, आपका साया हम सब पर हमेशा रहे यही मेरी प्रार्थना है । मैं समझाऊंगी हंशित को वो मेरी बात कभी नही टालता लेकिन आयींदा आप इसमें की बात अपने मुँह से कभी नही निकालेंगे " रुपाली जी ने कहा उनकी आँखे नम थी ।
"क्या आज नाश्ता मिलेगा भी या नही या यही मंदिर में खड़े होकर ही पूरा दिन गुज़ारना है " हेमलता जी ने माहौल को खुशगवार करने के लिए कहा
"जी दादी अभी शामू काका से कहकर नाश्ता लगवाती हूँ फिर सब नाश्ता करते है " रजनी ने कहा
थोड़ी देर बाद सब लोग नाश्ते की मेज पर बैठ गए । हंशित ऊपर सीड़ियों से आँख मलते हुए आ रहा था और नीचे आकर बोला " good moorning everyone "
"उठ गया मेरा पोता आजा नाश्ता करले " हेमलता जी ने कहा
"नही दादी आप लोग करो मैं अभी नहाऊंगा " हंशित ने कहा
"आज नवाब साहब बड़ी जल्दी उठ गए कल रात जल्दी घर वापसी हो गयी थी शायद " हंसराज जी ने कहा तंस मारते हुए
"इस घर में सुबह सुबह नींद किस को आती है जितनी तेज आवाज़ में माँ आरती करती है उस आवाज़ से तो मुर्दा भी उठ खड़ा हो जाए " हंशित ने कहा
"लेकिन फिर भी एक शख्स ऐसा है जो जिन्दा लाश बना बिस्तर पर पड़ा रहता है लेकिन आरती में नही आता है उठ कर " हंसराज जी ने जवाब देते हुए कहा
चारो और ख़ामोशी छायी हुयी थी । हंशित की और सब लोग देख रहे थे वो बोला " जब मेरी जिस चीज़ में आस्था ही नही तो मैं सुबह सुबह अपनी नींद ख़राब क्यू करू "
"तो जरा बताना आपकी आस्था किस चीज में है, जरा हमें भी तो पता चले , दोस्तों के साथ पार्टी करने में या फिर अपने उस दो कोड़ी के कैमरे में जिससे तुम हर समय जानवरो, पहाड़ो और इंसानों की तस्वीरे खींचते हो या फिर घूमने फिरने में है और बाप का पैसा पानी की तरह उडाने में " हंसराज जी ने कहा
क्या हंसु ( हेमलता जी प्यार से अपने बेटे को हंसु बुलाती है ) तू फिर मेरे पोते के पीछे लग गया हाथ धो कर
नही दादी कहने दो पापा को आज जो कुछ भी वो कहना चाहते है । इन्हे लगता है ना दुनिया में सिर्फ इनका ही नाम मशहूर है क्यूंकि ये एक बड़े बिज़नेस मैन है और इनका प्रोफेशन ही सबसे अच्छा है बाकी सबका तो बेकार है ,
पापा जिस कैमरे को आप दो कोड़ी का कह रहे है वो मेरी जान है , जो तस्वीरे में खींचता हूँ वही मेरे लिए सब कुछ है क्यूंकि मुझे पसंद है , मेरा दिल चाहता है पूरी दुनिया घूमना मैं आप लोगो की तरह कागज के नोटों को कमाने के लिए अपनी ज़िन्दगी का सौदा नही कर सकता ज़िन्दगी एक बार मिली है मैं इसे खुल कर जीना चाहता हूँ ना की आपके दबाव में आकर दफ्तर जाकर कंप्यूटर और फ़ाइल में अपना सर खपाना चाहता हूँ, नही है मुझे दिलचस्पी बिज़नेस में नही करना मुझे कारोबार नही देना लोगो को धोखा ।
आप ईश्वर में आस्था रखते है तो बताये क्या आप अपना कारोबार ईमानदारी से करते है मै भले ही ईश्वर में आस्था नही रखता हूँ लेकिन अपना काम ईमानदारी से करता हूँ किसी से झूठ नही बोलता चार पैसे कमाने के लिए किसी को धोखा नही देता आप की तरह ।अपने सपने किसी और पर नही थोपता , आपको पता है रजत भैया सिंगर बनना चाहते थे लेकिन आपने उन्हें बिजनेस कराकर उनके सपने को कुचल दिया।
"हंशित खामोश हो जाओ भगवान के लिए ये किस तरह तुम अपने बाप से बात कर रहे हो " रुपाली जी ने कहा
हंसराज जी खामोश खड़े अपने बेटे की बाते सुन रहे थे और बोले " अगर मेरी कमाई हराम की है , मैं झूठ बोल कर पैसे कमाता हूँ ये घर हराम के पैसो से खड़ा किया गया है तो क्यू रह रहे हो इस घर में, क्यू मेरे पैसे पर एश कर रहे हो "
"इस घर में और भी लोग है जिनकी वजह से मैं इस घर में आता हूँ सिर्फ आपका नही है ये घर " हंशित ने कहा
"पूछो रजत से की ये अब कितना खुश है। अपने सिंगर बनने के भूत को अपने सर से उतार कर आखिर कितना कमा लेता ये सिंगर बन कर आज दो कंपनी का मालिक है " हंसराज जी ने कहा
"पापा बात पैसे की नही होती है मन की संतुष्टि की होती है , भले ही ये आज दो कंपनी का मालिक है लेकिन कही ना कही इसे असंतुष्टि होती होगी की काश मेने अपने सपने को अपने हाथो से अपने दिल में दफन ना किया होता किसी के दबाव में आकर तो आज मेरे पास पैसे होते ना होते लेकिन मैं संतुष्ट होता अपने आप से की मेने अपने दिल की सुनी और अपने प्रोफेशन को चुना और बन गया जो बनना चाहता था।" हंशित ने कहा
"तुम तो अभी तक कुछ नही बने सिवाय आलसी के, क्या तुम्हारा अख़बार में कोई फोटो छपा, क्या तुमने कोई ऐसा काम किया जिससे लोगो का भला हो सके मेरा फोटो रोज़ अख़बार के पहले पर्चे पर छपता है, क्या कभी तुम्हारा छपा " हंसराज जी ने कहा
"एक दिन आप लोग देख लेंगे की आपका बेटा क्या चीज़ है लेकिन जब तक बहुत देर हो चुकी होगी मेरी तस्वीर तो अख़बार में होगी जिसे देख शायद आपको सुकून मिल जाए लेकिन मैं नही हूँगा जिसे आप सीने से लगा कर शब्बाबशी दे सके " हंशित ने कहा
"देखेंगे कब तुम कोई ऐसा काम करोगे शब्बाशी वाला, शब्बाशी मेहनती लड़को के लिए होती है तुम जैसे आवारा और काम चोर लड़को के लिए नही जो ज़िन्दगी को एक खेल समझते है और उसे अवारा गर्दी में गुज़ार देते है " हंसराज जी ने कहा
"देखेंगे पापा, बहुत जल्द देख लेंगे आप " हंशित ने कहा और अपने कमरे की तरफ चला गया
हंशित बेटा रुक जाओ, आप दोनों बाप बेटे की लड़ाई में हमेशा मैं ही पिसती हूँ बेटे का साथ दू तो आपकी नज़रो में बुरी बन जाती हूँ और आपका साथ दू तो बेटे के लिए बुरी माँ बन जाती हूँ। रुपाली जी ने कहा
"चलो रजत दफ़्तर के लिए देर हो रही है । ये तो रोज़ का है , आज मलिक ब्रदर्स के साथ मीटिंग है सारी तैयारी कर ली ना " हंसराज जी ने कहा
"जी,,,, जी,,,, पापा सारी तैयारी हो गयी " रजत ने हकलाते हुए कहा
"शाब्बाश मेरे बेटे तुम ही हो मेरा बाज़ू, वो तो नालायक पता नही किस पर चला गया " हंसराज जी ने कहा
"छोड़ दीजिये पापा अभी बच्चा है , कुछ साल बाद ठीक हो जाएगा चलये दफ़्तर चलते है " रजत ने कहा
"ये सब तुम लोगो के लाड़ प्यार का नतीजा है जो वो आज ऐसा हो गया है , मेरे काम को हराम कह रहा है हिम्मत तो देखो उसकी जिस थाल में खा रहा है उसी में छेद भी कर रहा है " हंसराज जी ने कहा
"चलये पापा देर हो रही है सब लोग आ चुके होंगे " रजत ने कहा और वो दोनों दफ़्तर चल दिए
आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिये मानसून प्रतियोगिता के लिए लिखें जा रहे धारावाहिक के अगले भाग में
Pratikhya Priyadarshini
16-Sep-2022 09:13 PM
Achha likha hai 💐
Reply
Renu
27-Jul-2022 10:53 PM
बहुत ही अच्छी शुरआत की है👍👍 हालात चाहें जैसे भी हो, लेकिन किसी भी उम्र में अपने सपनो को नहीं मरने देना चाहिए क्योंकि पीछे की गई योजना खुशियों की गारंटी नहीं होती, ओर फिर सफलता तो अपने साथ डर लेकर ही चलती हैं।
Reply
Saba Rahman
26-Jul-2022 11:45 PM
Nice
Reply